Monday, 27 April 2009

ghazal

कोई तो मुजरिम बताया जाएगा
फैसला जब भी सुनाया जाएगा

या तो अम्बर को छुपा लेंगे कहीं
या तो पत्थर को मनाया जाएगा

दीवार को गिरने की आदत है मगर
फिर से इंटों को सजाया जाएगा

अबके सीखेंगे सँभालने का हुनर
फिर मुक़द्दर आजमाया जाएगा

गर हुआ पैबंद बिस्तर में कही
ख्वाब को पहले बिछाया जाएगा

No comments: