Monday, 27 October 2014




जब तुम  झूठ कहते हो  हमें  मालूम होता है
जब तुम  सच बताते हो  हमें मालूम होता है

दोस्ती में  जान ले लो    . . . .   जान  दे देंगे
मगर जब आजमाते हो  हमें मालूम होता है

मेरी बातों से तुम अक्सर बहोत बेफ़िक्र रहते हो
मगर जब खार खाते  हो  हमें मालूम होता है

दिवाली में दिवाले में या अंबानी के ताले में
कहाँ पर झिलमिलाते हो हमें मालूम होता है 

Friday, 24 October 2014



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खाली मुंडी डेविल का घर
आओ गाड़ दें मील के पत्थर

चला मुरारी गेरुआ धारी
हीरो बनने भेष बदल कर

लाल लंगोटी वाले देखो
संसद पहुँचे पहन के खद्दर

कब तक डर कर काँपोगे तुम
कुरूक्षेत्र में थर थर थर थर

बंदूकों को लील जाएँगे
फ़ौलादी सीनों के लश्कर

दुनियाँ कभी नहीं बदलेगी
जब तक हैं अल्लाह-ओ-ईश्वर

### हम दोगलापन दूर से पहचान लेते हैं ###




भगोड़े छोड़ कर मैदान चुप्पी तान लेते हैं
और हम दोगलापन दूर से पहचान लेते हैं

हमें मालूम है सरहद समय की पूँछ है यारों
मगर फ़िलहाल तेरी बेवकूफ़ी मान लेते हैं

के तुम अल्लाह भगवन् गाॅड सबके चाट लो तलवे
मगर हम भूत प्रेतों से नहीं एहसान लेते हैं

मुरारी दूध के बदले सवेरे माड़ पीता है
औ' साहेब जूस में भी बाॅर्नवीटा डाल लेते हैं

ज़रा सा भी भरम मत पालना के माफ़ कर देंगे
बदल देते हैं हम हरदम के जो भी ठान लेते हैं


###  होंठ तुम्हारे  नॉन वॉयलेंस
###  आँखें तेरी  हल्ला बोल ###


इश्क का दीवानापन देखो खोल दो डोरी खुल गई पोल 
होंठ तुम्हारे नाॅन वाॅयलेंस आँखें तेरी हल्लाबोल 

तौल रहा है पाई पाई खड़ी धूप में रिक्शेवाला 
मर्सीडीज़ में घूम रहे हैं कुकुर बिलाई सब अनमोल

मिल वर्कर्स और ट्रेड यूनियन दौड़ धूप कर हवा हो गए
और ट्रेड मिल्स पर भाग रहे हैं भारी भरकम गोलमटोल

भूत प्रेत निकट नहीं आवें महावीर जब नाम सुनावें
राहत भाई फिर से आओ छोड़ के अपना अल्लाह बोल