Friday, 24 October 2014


### हम दोगलापन दूर से पहचान लेते हैं ###




भगोड़े छोड़ कर मैदान चुप्पी तान लेते हैं
और हम दोगलापन दूर से पहचान लेते हैं

हमें मालूम है सरहद समय की पूँछ है यारों
मगर फ़िलहाल तेरी बेवकूफ़ी मान लेते हैं

के तुम अल्लाह भगवन् गाॅड सबके चाट लो तलवे
मगर हम भूत प्रेतों से नहीं एहसान लेते हैं

मुरारी दूध के बदले सवेरे माड़ पीता है
औ' साहेब जूस में भी बाॅर्नवीटा डाल लेते हैं

ज़रा सा भी भरम मत पालना के माफ़ कर देंगे
बदल देते हैं हम हरदम के जो भी ठान लेते हैं

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