Friday, 30 January 2009

फॉर्म में ugly बहुत है face मेरा

इस वजह से फंस गया है केस मेरा

आदमी legal दिखूं कैसे

बताओ तुम !

नस्ल इक मुद्दा है UN के लिए

मैं जरा सा और ग्लोबल हो रहा हूँ ...........

इंडियन हूँ ,

या कोई नाइजीरियन हूँ ,

दोस्त कहता है मुझे

हल्का सा हंस के ....

नस्लवादी टिप्पणी का खामियाजा ,

और भी लोगों ने दुनिया में भरे हैं

खेल में भी ,

और कभी खिलवाड़ में भी,....

दोस्त भी भरता रहेगा खामियाजा .

औसतन लोगों से कम सुंदर हूँ मैं ,

जाओ ............

और जाकर बताओ अन्ना को (kofi annaan)

चुप करा देना कोई मसला नहीं है

रंग चेहरे का बहुत कुछ बोलता है

दूरिआं कितनीं हैं

और किस हद तलक .....

दरमियान ये कौन है हर शख्श के

के आदमी के देखने का कायदा

आज-कल भी

कई सदी पहले सा है.

वक्त

आज कल मेरे शहर ने जो बना रक्खा है मुझको,

दिख रहा होगा तुम्हें

पर वो

मेरा चेहरा नहीं है ,

मैं यहाँ उस वक्त से हूँ

जब यहाँ कोई नहीं था,

एक हैरत थी जो बढती जा रही थी दिन ब दिन

एक फुर्सत थी जो घटती आ रही थी हर तरफ़,

मेरेआगे ही तमाशे नस्ल के पैदा हुए,

मेरी आंखों में हजारों तीर हैं उस जंग के

जो लड़ी सबने मगर कोई नहीं जिन्दा रहा,

मैं यहाँ उस वक्त से हूँ

जब ज़मीं सबकी रही

मेरे आगे सैकड़ों फसलें उगीं और कट गयीं

मेरे आगे सैकड़ों नस्लें उगीं और बंट गयीं

मैंने अपनी उम्र का वो दौर देखा है यहाँ

जिसमें जर्रे से उठा है ये शहर

और एक दिन

आसमान छू के गिरा है

पत्थरों के फर्श पे

असल बात

ये जरूरतों की जो फेहरिस्त

दिखाते हो मुझे

इनमें क्या गैर जरूरी है, पता है हमको....

हमने खोले हैं सवालों को गठरिओं की तरह

हमने बस धूल हटा दी है असल बातों से..................

ये जो फैसले होते हैं अदालत में ,

ये जो डिग्रीयां बिकती हैं इश्तेहारों ,

ये जो अल्फाज़ चमकते हैं तितलिओं की तरह

ये जो की रोज छपा करते हैं अखबारों में,

ये सब पुर्जे हैं हवाओं में उड़ने के लिए

के ये पत्ते हैं फ़क़त छुपने छुपाने के लिए

के असल बात कहीं और ही ढकी है अभी ...

हमने जवाबों को तलाशा नहीं है और कहीं

हमने अल्फाज तलाशें हैं

नए मानी में;

हमने बस धूल हटा दी है असल बातों से

हमने बस चाँद हटाया है

हसीं रातों से......

Saturday, 17 January 2009

तरीका

अगर सीधा पहुंचना हो तो फ़िर उलटी तरफ़ निकलो
तुम्हें पूरा जहाँ मिल जाएगा सुनने समझने को

लंगी

जिंदगी की गाडी चुपचाप जा रही थी
और हम
ज़रा सा उसको लंगी फंसा रहे थे .........
हम आजमा रहे थे .......
ऊंची उड़ान वाली इक जोरआजमाइश