बहुत मासूमियत से
अपनी बातों से मुक़र जाना
कोई सीखे
तो फ़िर तुमसे,
मेरे अल्लाह मेरे मौला .
कहा था
ये जमीं ,
बेहतर बनाऊंगा मैं जन्नत से .....
बिगड़ बैठी
तो कहते हो
कि मेरा बस नहीं चलता
Saturday, 13 June 2009
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