वो कहते हैं अक्सर नीचे ज़मीन पर देखो
मगर हम के करें हम ऊंचे ख्वाब रखते हैं
जो हम नहीं रखते वो बस हम नहीं रखते
मगर जो हम रखते हैं वो बेहिसाब रखते हैं
हमने हवाओं के हवाले किया है कश्ती को
मगर समंदर पे हम अपना रुआब रखते हैं
मगर हम के करें हम ऊंचे ख्वाब रखते हैं
जो हम नहीं रखते वो बस हम नहीं रखते
मगर जो हम रखते हैं वो बेहिसाब रखते हैं
हमने हवाओं के हवाले किया है कश्ती को
मगर समंदर पे हम अपना रुआब रखते हैं
1 comment:
दिल बाग़-बाग़ हो गया मेरा.
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