शिक्षा के पंडी जी बढ़िया उसूल बा
फांसी लगवले बा लईका के भूल बा
बहरी गुलमोहर बा भीतर बबूल बा
ओहनी के सोना बा हमनी के धूल बा
लईका मुअवले बा नीमन इस्कूल बा
शिक्षा के पंडी जी बढ़िया उसूल बा
नंबर के मीटर ले बुद्धी नपाला
सरकारी मर्जी ले कोस्चन छापाला
रट रट के पुस्तक ले पर्चा लिखाला
आ.. ...
जादे बा बुद्धी त तनिका घटा दअ
गणित आ physics के तनिका सटा दअ
science ले litereture फरिका हटा दअ
जतना जरूरी बा ओतना बढ़ा लअ
जऊंची ले ख़तरा बा ओह्के घटा दअ
NDA भरी ई सेना में जाई ........
नाही त डाक्टर इंजीनियर कहाई
आ.....
नाही कुछ होखल त टीचर हो जाई
इस्कुलीये हमनी के गुलशन ह बाबु
उहे टीचरवा अब गुलशन के फूल बा
शिक्षा के पंडी जी बढ़िया उसूल बा
फांसी लगवले बा लईका के भूल बा
पइसा खियवले बा चुनरी चढवले बा
नंबर बढ्व्ले बा लईका ई cool बा
सेटिग लगवले बा पढ़ल फिजूल बा
इंग्लिश पढ़ावअ कि इंग्लिश जरूरी बा
दुनिया में अब खाली भाषा के दूरी बा
जिनगी पर इंगलिशिया लहजा चढ़ा दअ
धीरे से तू आपन कागज़ बढ़ा दअ
बानर ई तोहरे बा जईसे नचा लअ
डूबल खेवईया कि नईया बचा लअ
बचपन ले मानेला शिक्षक के ज्ञानी
लईका ई जानेला आधा कहानी
आधा में शिक्षा के सादा उसूल बा
आधा में बिजनस के फयदा कबूल बा
बहरी गुलमोहर बा भीतर बबूल बा
फांसी लगवले बा लईका के भूल बा
शिक्षा के पंडी जी बढ़िया उसूल बा
Sunday, 9 May 2010
जब बोर्डर पर ले सेना के भीतर बोलवावल जाई / bhojpuri geet
जब बोर्डर पर ले सेना के भीतर बोलवावल जाई
जहिया अपने जंगल में ले जा के टैंक घुसावल जाई
कुल घास जरावल जाई पक्का रोड बनावल जाई
आ.. कंटेनर में भर के जब गोली मंगवावल जाई
जहिया घुस के घर में धाएँ धायँ बन्दूक चलावल जाई
आ.. बरसाती सर्दी खांसी जब स्वाइन फ़्लू कहलाई
खाली एक महीना भर में बबुआ पइसा खूब पिटाई
आ.. अक्तूबर के आवत आवत स्वाइन फ़्लू उधियाई
जब जनता के चूसे के खातिर प्लान बनावल जाई
तब..
मीडिया बोलवावल जाई आ विडिओ करवावाल जाई
कुकुरन के पिछ्वारी में पेट्रोल छुआवल जाई
आ.. पक्का रोड से कुकुरन के जंगल में घुसावल जाई
तब बोर्डर पर ले सेना के भीतर बोलवावल जाई
बबुआ धीरे धीरे बोलअ ना त पुलिस पकड़ ले जाई
जहिया अपने जंगल में ले जा के टैंक घुसावल जाई
कुल घास जरावल जाई पक्का रोड बनावल जाई
आ.. कंटेनर में भर के जब गोली मंगवावल जाई
जहिया घुस के घर में धाएँ धायँ बन्दूक चलावल जाई
आ.. बरसाती सर्दी खांसी जब स्वाइन फ़्लू कहलाई
खाली एक महीना भर में बबुआ पइसा खूब पिटाई
आ.. अक्तूबर के आवत आवत स्वाइन फ़्लू उधियाई
जब जनता के चूसे के खातिर प्लान बनावल जाई
तब..
मीडिया बोलवावल जाई आ विडिओ करवावाल जाई
कुकुरन के पिछ्वारी में पेट्रोल छुआवल जाई
आ.. पक्का रोड से कुकुरन के जंगल में घुसावल जाई
तब बोर्डर पर ले सेना के भीतर बोलवावल जाई
बबुआ धीरे धीरे बोलअ ना त पुलिस पकड़ ले जाई
जब जब राम नाम के सांच बता के देह उठावल जाई / bhojpuri geet
जब जब राम नाम के सांच बता के देह उठावल जाई
तब तब मुक्ती के नाम पे दू गो पेड़ जरावल जाई
सुन ल आर्यपुत्र ! एगो मुअला पर दूगो पेड़ जरेला
सुन ल आर्यपुत्र ! कि पांच साल पे एगो आम फरेला
सुन ल आर्यपुत्र ! ई धरती के मत बाँझ बनावअ भाई
सुन ल आर्यपुत्र ! तू कुरुछेत्र के लाल बना के छोडलअ
सुन ल आर्यपुत्र ! तू जंगल के कंगाल बना के छोडलअ
सुन ल आर्यपुत्र ! तू सरस्वती पाताल में जा के छोडलअ
सुन ल आर्यपुत्र ! तू बहिरन के वाचाल बना के छोडलअ
सुन ल आर्यपुत्र ! संगम ले जहिया एक नदी उड़ जाई
सोचअ कतना पेड़ कटाइल सोचअ कतना पेड़ कटाई
जब जब राम नाम के सांच बता के देह उठावल जाई
तब तब मुक्ती के नाम पे दू गो पेड़ जरावल जाई
सुन ल आर्यपुत्र ! इतिहास बदलला ले नाही कुछ सुलझी
जब तक सूर्यपुत्र मनसह्का घोड़ा नीयन सबसे उलझी
जब तक पांच पुत्र के ईश्वर के वरदान बतावल जाई
कि जब तक खरिहानी में धान पे अग्निबाण चलावल जाई
बोलअ आर्यपुत्र कि सूर्पनखा के नाक तू कैसे कटला
बोलअ पांच भाई में आर्यपुत्र मेहरारू कैसे बटला
सुन ल आर्यपुत्र ! तू हमरा ले लड़बअ त मुह के खईबा
जहिया ई पर्दा हट जाई ओहिदीन तू लंगटे हो जईबा
बोलअ आर्यपुत्र तू सोना के हरिना के पीछे भगला
बोलअ आर्यपुत्र कि बनरन भलुअन के तू कईसे ठगला
खोलअ आर्यपुत्र ई झूठ मूठ के सब गठरी तू खोलअ
कहला पर धोबी के सीता जी के तू दुतकरलअ बोलअ
बोलअ घास उठा के कोई कहाँ ले लईका एक बनाई
बोलअ बीना छुअले लव के छोटा भाई कहाँ से आयी
बोलअ बाल्मीकी तू सीता के चक्कर में कईसे पडलअ
बोलअ बाल्मीकी सब राज़ तू आतना भीतर कईसे गड़लअ
तब तब मुक्ती के नाम पे दू गो पेड़ जरावल जाई
सुन ल आर्यपुत्र ! एगो मुअला पर दूगो पेड़ जरेला
सुन ल आर्यपुत्र ! कि पांच साल पे एगो आम फरेला
सुन ल आर्यपुत्र ! ई धरती के मत बाँझ बनावअ भाई
सुन ल आर्यपुत्र ! तू कुरुछेत्र के लाल बना के छोडलअ
सुन ल आर्यपुत्र ! तू जंगल के कंगाल बना के छोडलअ
सुन ल आर्यपुत्र ! तू सरस्वती पाताल में जा के छोडलअ
सुन ल आर्यपुत्र ! तू बहिरन के वाचाल बना के छोडलअ
सुन ल आर्यपुत्र ! संगम ले जहिया एक नदी उड़ जाई
सोचअ कतना पेड़ कटाइल सोचअ कतना पेड़ कटाई
जब जब राम नाम के सांच बता के देह उठावल जाई
तब तब मुक्ती के नाम पे दू गो पेड़ जरावल जाई
सुन ल आर्यपुत्र ! इतिहास बदलला ले नाही कुछ सुलझी
जब तक सूर्यपुत्र मनसह्का घोड़ा नीयन सबसे उलझी
जब तक पांच पुत्र के ईश्वर के वरदान बतावल जाई
कि जब तक खरिहानी में धान पे अग्निबाण चलावल जाई
बोलअ आर्यपुत्र कि सूर्पनखा के नाक तू कैसे कटला
बोलअ पांच भाई में आर्यपुत्र मेहरारू कैसे बटला
सुन ल आर्यपुत्र ! तू हमरा ले लड़बअ त मुह के खईबा
जहिया ई पर्दा हट जाई ओहिदीन तू लंगटे हो जईबा
बोलअ आर्यपुत्र तू सोना के हरिना के पीछे भगला
बोलअ आर्यपुत्र कि बनरन भलुअन के तू कईसे ठगला
खोलअ आर्यपुत्र ई झूठ मूठ के सब गठरी तू खोलअ
कहला पर धोबी के सीता जी के तू दुतकरलअ बोलअ
बोलअ घास उठा के कोई कहाँ ले लईका एक बनाई
बोलअ बीना छुअले लव के छोटा भाई कहाँ से आयी
बोलअ बाल्मीकी तू सीता के चक्कर में कईसे पडलअ
बोलअ बाल्मीकी सब राज़ तू आतना भीतर कईसे गड़लअ
Saturday, 8 May 2010
जहिया प्रीत लगावल जाई / bhojpuri geet
जहिया प्रीत लगावल जाई
जहिया रीत बनावल जाई
जहिया जीत सजावल जाई
ओहिदीन गीत ई गावल जाई......
जहिया कठपूतरी के काठ के जइसन
नाच नचावल जाई
जहिया आँख खोल के दुश्मन पर
तलवार चलावल जाई
ओहिदीन गीत ई गावल जाई........
जहिया आन पे आवल जाई
ओहिदीन बाण चलावल जाई
मन से दाग छोडावल जाई
नींद से जाग के आवल जाए
आ तू गोहरईबू जहिया ओहिदीन
भाग के आवल जाई
ओहिदीन प्रीत जतावल जाई
ओहिदीन सांच बतावल जाई
ओहिदीन आपन अनकर छोड़ छाड़ के
मीत बनावल जाई
जहिया मंदिर मस्जिद के अंगना
के भीत गिरावल जाई
ओहिदीन ईद मनावल जाई
ओहिदीन फगुआ गावल जाई
आ ......
चुल्हा में जतना सुलगी
ओतना सुलगावल जाई
जब जब प्रीत लगावल जाई
तब तब प्रीत निभावल जाई....
जहिया रीत बनावल जाई
जहिया जीत सजावल जाई
ओहिदीन गीत ई गावल जाई......
जहिया कठपूतरी के काठ के जइसन
नाच नचावल जाई
जहिया आँख खोल के दुश्मन पर
तलवार चलावल जाई
ओहिदीन गीत ई गावल जाई........
जहिया आन पे आवल जाई
ओहिदीन बाण चलावल जाई
मन से दाग छोडावल जाई
नींद से जाग के आवल जाए
आ तू गोहरईबू जहिया ओहिदीन
भाग के आवल जाई
ओहिदीन प्रीत जतावल जाई
ओहिदीन सांच बतावल जाई
ओहिदीन आपन अनकर छोड़ छाड़ के
मीत बनावल जाई
जहिया मंदिर मस्जिद के अंगना
के भीत गिरावल जाई
ओहिदीन ईद मनावल जाई
ओहिदीन फगुआ गावल जाई
आ ......
चुल्हा में जतना सुलगी
ओतना सुलगावल जाई
जब जब प्रीत लगावल जाई
तब तब प्रीत निभावल जाई....
चोरवा भईल बहुत होशियार / भोजपुरी गीत
चोरवा भईल बहुत होशियार
बच के रहिह बरखुरदार
अबके कोट-कचहरी के रहता ले
आयी तोहरे द्वार
लेके कुर्की जब्ती लीगल
नोटिस वोटिस के भरमार
चोरवा भईल बहुत होशियार
बच के रहिह बरखुरदार
सब दुनिया के पइसा जाला
सिंगल पाकिट में
आ
हमनी के अटकल बानी जा
छटकल प्रोफिट में
चोरवा wrong के बोले right
चोरवा black के बोले white
ई
ब्लैक white के फांक में पाकल
loan के कारोबार
चोरवा भईल बहुत होशियार
बच के रहिह बरखुरदार
चोरवा अदिमी के कुचिले के खातिर
चढ़ के आइल कार
चरवा मौत के कम्पंसेसन देता
१८-२० हज़ार
देके नोट खरीदे वोट
के चोरवा हाई कोर्ट के यार
चोरवा पइसा देके पलटी अबकी
चुटकी में सरकार
चोरवा छीना झपटी छोड़ छाड़ के
कइले बा व्यापार
चोरवा महुआ ताड़ी दे के भेजी
सबके गंगा पार
चोरवा पीठ के पीछे बेच के आयी
गंगा जी के धार
चोरवा भईल बहुत होशियार
बच के रहिह बरखुरदार
बच के रहिह बरखुरदार
अबके कोट-कचहरी के रहता ले
आयी तोहरे द्वार
लेके कुर्की जब्ती लीगल
नोटिस वोटिस के भरमार
चोरवा भईल बहुत होशियार
बच के रहिह बरखुरदार
सब दुनिया के पइसा जाला
सिंगल पाकिट में
आ
हमनी के अटकल बानी जा
छटकल प्रोफिट में
चोरवा wrong के बोले right
चोरवा black के बोले white
ई
ब्लैक white के फांक में पाकल
loan के कारोबार
चोरवा भईल बहुत होशियार
बच के रहिह बरखुरदार
चोरवा अदिमी के कुचिले के खातिर
चढ़ के आइल कार
चरवा मौत के कम्पंसेसन देता
१८-२० हज़ार
देके नोट खरीदे वोट
के चोरवा हाई कोर्ट के यार
चोरवा पइसा देके पलटी अबकी
चुटकी में सरकार
चोरवा छीना झपटी छोड़ छाड़ के
कइले बा व्यापार
चोरवा महुआ ताड़ी दे के भेजी
सबके गंगा पार
चोरवा पीठ के पीछे बेच के आयी
गंगा जी के धार
चोरवा भईल बहुत होशियार
बच के रहिह बरखुरदार
Tuesday, 30 March 2010
जब तंत्र उखाड़े जाते हैं
जब तंत्र उखाड़े जाते हैं
तब शोर शराबा होता है
दस्तूर यही बतलाता है....
दस्तूर यही बतलाता है
के उठी हुई गर्दन ही अक्सर
कटती है मैदानों में
गर्दन जिनकी झुकी हुई हो
अक्सर आड़े आते हैं
जब तंत्र उखाड़े जाते हैं
जब झंडे गाड़े जाते हैं
दस्तूर यही बतलाता है
दस्तूर यही बतलाता है
के हाथ मिलाने से भी पहले
आँख मिलानी होती है
और आँखों में ही सारे सौदे
हो जाते हैं रोज़ यहाँ
रोज़ यहाँ मिटटी के नीचे
मुर्दे गाड़े जाते हैं
और बहुत बेशर्मी से फिर
हाथ भी झाडे जाते हैं...
हाथ में मिटटी रह जाये
तो पेपर गंदा होता है
इक बेजुबान सा ढांचा है
जो रोज़ निगलता है मुझको
मैं रोज जरा सा ढह जाता हूँ
ढाँचे से लड़ते लड़ते....
जब ढाँचे ढाने होते हैं
तब व्यूह सजाने होते हैं
तब चीज़ों को काफी
बारीकी से पढना होता है
तब करने से पहले
मंसूबों को गढ़ना होता है
तब फांसी पर सबसे आगे
आकर चढ़ना होता है
असेम्बली में घुस के फिर से
एक धमाका हो जाये
संसद में बस विस्फोटों से
सूत्र बिगाड़े जाते है
कानों पर से खामोशी के
परदे फाड़े जाते हैं
जब तंत्र उखाड़े जाते हैं
तब शोर शराबा होता है .
तब शोर शराबा होता है
दस्तूर यही बतलाता है....
दस्तूर यही बतलाता है
के उठी हुई गर्दन ही अक्सर
कटती है मैदानों में
गर्दन जिनकी झुकी हुई हो
अक्सर आड़े आते हैं
जब तंत्र उखाड़े जाते हैं
जब झंडे गाड़े जाते हैं
दस्तूर यही बतलाता है
दस्तूर यही बतलाता है
के हाथ मिलाने से भी पहले
आँख मिलानी होती है
और आँखों में ही सारे सौदे
हो जाते हैं रोज़ यहाँ
रोज़ यहाँ मिटटी के नीचे
मुर्दे गाड़े जाते हैं
और बहुत बेशर्मी से फिर
हाथ भी झाडे जाते हैं...
हाथ में मिटटी रह जाये
तो पेपर गंदा होता है
इक बेजुबान सा ढांचा है
जो रोज़ निगलता है मुझको
मैं रोज जरा सा ढह जाता हूँ
ढाँचे से लड़ते लड़ते....
जब ढाँचे ढाने होते हैं
तब व्यूह सजाने होते हैं
तब चीज़ों को काफी
बारीकी से पढना होता है
तब करने से पहले
मंसूबों को गढ़ना होता है
तब फांसी पर सबसे आगे
आकर चढ़ना होता है
असेम्बली में घुस के फिर से
एक धमाका हो जाये
संसद में बस विस्फोटों से
सूत्र बिगाड़े जाते है
कानों पर से खामोशी के
परदे फाड़े जाते हैं
जब तंत्र उखाड़े जाते हैं
तब शोर शराबा होता है .
Sunday, 28 February 2010
Tuesday, 23 February 2010
दद्दा का कोई कहना हम कैसे टाल देंगे
दद्दा बड़े हैं हमसे
दुनिया चला रहे हैं
दद्दा का एक रुतबा है
लोगबाग कहते हैं...
दद्दा जहाँ पे चाहे मिसाइल डाल देंगे
टिगरिस कि एक छेद से चूहा निकाल देंगे
दद्दा के करिश्मे का अंदाज़ दूसरा है
तुम देखना के इक दिन ऐसा जरूर होगा
दद्दा हमारी डूबती नईया संभाल देंगे
दद्दा ने CTBT से हमको जोड़ डाला
दद्दा कि मेहरबानी हम खुद को बेच पाए ...
दद्दा के language में हर बच्चा बोलता है
दद्दा ने बैठ कर खुद
बदले हैं सब सिलेबस
दद्दा को सब पता है
किस किस को बदलना है
दद्दा का एक हाथ हमेशा है मेरे पीछे
और दुसरे से दद्दा अपनी खुजा रहे हैं
दद्दा बड़े हैं हमसे
दुनिया चला रहे हैं
दद्दा का एक रुतबा है
लोगबाग कहते हैं...
दद्दा जहाँ पे चाहे मिसाइल डाल देंगे
टिगरिस कि एक छेद से चूहा निकाल देंगे
दद्दा के करिश्मे का अंदाज़ दूसरा है
तुम देखना के इक दिन ऐसा जरूर होगा
दद्दा हमारी डूबती नईया संभाल देंगे
दद्दा ने CTBT से हमको जोड़ डाला
दद्दा कि मेहरबानी हम खुद को बेच पाए ...
दद्दा के language में हर बच्चा बोलता है
दद्दा ने बैठ कर खुद
बदले हैं सब सिलेबस
दद्दा को सब पता है
किस किस को बदलना है
दद्दा का एक हाथ हमेशा है मेरे पीछे
और दुसरे से दद्दा अपनी खुजा रहे हैं
जब bat ball के जोश में आकर
हम चिल्ला कर मिलते हैं
तब राजनीति के घाघ पशु सब पूँछ हिला कर मिलतें हैं
और
दुनिया भर के सूदखोर
दाओस में जाकर मिलते हैं ...
जब सरकारी बाबु दफ्तर में पिज्जा बर्गर खाते हैं
जब फर्स्ट क्लास और सेकंड क्लास को हम जायज़ ठहराते हैं
और महंगाई हमसे मिलने जब बुल डोजर पे आती है
तब असली मुद्दों पर कोई बात नहीं की जाती है
तब वो झोंके जाते हैं जिन पर रोटी के लाले हैं...
ये बेलगाम घोड़े बस्ती की जानिब किसने मोड़ दिए
ये जोर ज़बर के सब किस्से किस छोर पे जाकर मिलते हैं .
आओ लोहे को थोडा सा और तपा कर मिलते हैं
अपनी सारी कमज़ोरी से बाहर आकर मिलते हैं
हमने मिलकर कई अंधियारे
पत्थर से चमकाए हैं
हम उनके सब मंसूबों को फिर से पानी कर देंगे .
हम चिल्ला कर मिलते हैं
तब राजनीति के घाघ पशु सब पूँछ हिला कर मिलतें हैं
और
दुनिया भर के सूदखोर
दाओस में जाकर मिलते हैं ...
जब सरकारी बाबु दफ्तर में पिज्जा बर्गर खाते हैं
जब फर्स्ट क्लास और सेकंड क्लास को हम जायज़ ठहराते हैं
और महंगाई हमसे मिलने जब बुल डोजर पे आती है
तब असली मुद्दों पर कोई बात नहीं की जाती है
तब वो झोंके जाते हैं जिन पर रोटी के लाले हैं...
ये बेलगाम घोड़े बस्ती की जानिब किसने मोड़ दिए
ये जोर ज़बर के सब किस्से किस छोर पे जाकर मिलते हैं .
आओ लोहे को थोडा सा और तपा कर मिलते हैं
अपनी सारी कमज़ोरी से बाहर आकर मिलते हैं
हमने मिलकर कई अंधियारे
पत्थर से चमकाए हैं
हम उनके सब मंसूबों को फिर से पानी कर देंगे .
के तुम्हारे वास्ते हम
लड़ेंगे हर खुदा से
तुम्हें
कैसे भूल जायें
तुम मां रही हो मेरी...
तुम वो जमीं हो जिसपे
पूरा का पूरा सिस्टम
बोली लगा रहा है
कहतें हैं तेरे नीचे सोना दबा हुआ है
गेहूं कि फुनगियों पर
सोने की बालियाँ हैं
हम
भूख से तड़प कर
सोना उगा रहे हैं...
हम जानते हैं तेरी
मौजूदगी का मतलब
और
तुम भी यकीन मानो
जब तक के हम खड़े हैं
कोई नहीं है ऐसा
तुमको जो रौंद डाले.
लड़ेंगे हर खुदा से
तुम्हें
कैसे भूल जायें
तुम मां रही हो मेरी...
तुम वो जमीं हो जिसपे
पूरा का पूरा सिस्टम
बोली लगा रहा है
कहतें हैं तेरे नीचे सोना दबा हुआ है
गेहूं कि फुनगियों पर
सोने की बालियाँ हैं
हम
भूख से तड़प कर
सोना उगा रहे हैं...
हम जानते हैं तेरी
मौजूदगी का मतलब
और
तुम भी यकीन मानो
जब तक के हम खड़े हैं
कोई नहीं है ऐसा
तुमको जो रौंद डाले.
तुम अपने ख्वाब की ऊंची उड़ानों का मज़ा देखो
हम अपने हाथ के
छालों से
तरकश को संभालेंगे
जहां पर उड़ रहे हो तुम
हवाओं से भी कुछ ऊपर
वो पूरा आसमान हम अपनी मुट्ठी में छुपा लेंगे
कभी उलझो नहीं हमसे
के हम
धरती पे रहते हैं
हमें जो झोंक रक्खा है यहाँ तुमने मशीनों में
तो फिर
धीरज धरो कुछ दिन
के अब
ऐसी भी क्या जल्दी
के सब बन्दूक तोपें
सब मिराजो मिग तुम्हारे
तान कर बैठे हो क्यूँ हमपे
कोई सौदा किया है....
या
कहीं पर
बेच कर आये हो तुम
ईमान को अपने
हम अपने हाथ के
छालों से
तरकश को संभालेंगे
जहां पर उड़ रहे हो तुम
हवाओं से भी कुछ ऊपर
वो पूरा आसमान हम अपनी मुट्ठी में छुपा लेंगे
कभी उलझो नहीं हमसे
के हम
धरती पे रहते हैं
हमें जो झोंक रक्खा है यहाँ तुमने मशीनों में
तो फिर
धीरज धरो कुछ दिन
के अब
ऐसी भी क्या जल्दी
के सब बन्दूक तोपें
सब मिराजो मिग तुम्हारे
तान कर बैठे हो क्यूँ हमपे
कोई सौदा किया है....
या
कहीं पर
बेच कर आये हो तुम
ईमान को अपने
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