तुम अपने ख्वाब की ऊंची उड़ानों का मज़ा देखो
हम अपने हाथ के
छालों से
तरकश को संभालेंगे
जहां पर उड़ रहे हो तुम
हवाओं से भी कुछ ऊपर
वो पूरा आसमान हम अपनी मुट्ठी में छुपा लेंगे
कभी उलझो नहीं हमसे
के हम
धरती पे रहते हैं
हमें जो झोंक रक्खा है यहाँ तुमने मशीनों में
तो फिर
धीरज धरो कुछ दिन
के अब
ऐसी भी क्या जल्दी
के सब बन्दूक तोपें
सब मिराजो मिग तुम्हारे
तान कर बैठे हो क्यूँ हमपे
कोई सौदा किया है....
या
कहीं पर
बेच कर आये हो तुम
ईमान को अपने
Tuesday, 23 February 2010
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