जमाने भर के उजले खोखले लोगों का भारीपन
बहुत हल्के से हँस के दो घड़ी में तोल देता हूँ
बहुत हल्के से हँस के दो घड़ी में तोल देता हूँ
सिवा तेरे कोई सोचेगा क्या, परवा नहीं करता
मुझे जो बोलना होता है वो मैं बोल देता हूँ
मुझे जो बोलना होता है वो मैं बोल देता हूँ
मुझे मालूम है कपड़े मेरे मुझको डुबो देंगे
तो जब भी डूबने लगता हूँ सबकुछ खोल देता हूँ
तो जब भी डूबने लगता हूँ सबकुछ खोल देता हूँ
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