Thursday, 5 February 2009

अपनी चुप्पी को सजा कर आँख में

मेरी चुप्पी का सिला देता है वो

कोई चर्चा अब नहीं होती यहाँ

वस्ल में अब

आजमाइश चल रही है

इन दिनों

गहरी उदासी में हूँ मैं

अपनी कमजोरी छुपाने के लिए

इक वजह

वो ढूंढता रहता है अब

मेरी गलती को भुनाने के लिए

अब हमारे बीच

बस एक जंग है

जिसका के ऐलान बाकी है अभी

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