के जितना ढूँढते हो तुम
उतना गुम नहीं हूँ मैं
बस कुछ नए हिस्सों में थोड़ा
बंट गया हूँ अब
अब भी रखता हूँ
नए वादे हथेली पे
अब भी नेजे पे सवालों के संभालता हूँ
अब ही तनहा चाँदनी में
खूब जलता हूँ
रोज जब तुम दस सवालों को उठाते हो
रोज मैं कुछ ख्वाब नन्हें
ढूंढ लाता हूँ
तुम जिन्हें मुश्किल बता कर रूठ जाते हो
मैं सौ दफा उन मुश्किलों में
सर उठाता हूँ
यहीं अक्सर
कहीं कुछ बीनता चुनता हुआ
देखो
यहीं मिल जाऊंगा मैं
जिंदगी बुनता हुआ देखो
जरा सा गौर से देखो
उफक के पास ही हूँ मैं
के जितना ढूंढते हो तुम
उतना गुम नहीं हूँ मैं
5 comments:
sundar soochana dene ke liye badhai ho.blog ki is duniya me apka swagat hai
खूबसूरत ख्याल है.........
सुंदर रचना, अच्छी अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
सुंदर रचना
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
kisi ke pyar me aadmi gum hosakta hai. gana bhee hai " gum hai kisi ke pyar me...." narayan narayan
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