काफी देर तक्क़ल्लुफ़ में वो
चुप बैठे
पर आख़िर में
सन्नाटे से बाहर आए
धूम मचा कर चले गए/
चिट्ठी विट्ठी लिखते रहना
इतना ही बोला उनसे
दीवानों को
क्या सूझी
वो सब लौटा कर चले गए।
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