Sunday, 8 February 2009

धूम मचा कर चले गए

काफी देर तक्क़ल्लुफ़ में वो

चुप बैठे

पर आख़िर में

सन्नाटे से बाहर आए

धूम मचा कर चले गए/

चिट्ठी विट्ठी लिखते रहना

इतना ही बोला उनसे

दीवानों को

क्या सूझी

वो सब लौटा कर चले गए।

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