Saturday, 7 February 2009

धूम मचा कर चले गए

पहले तो सारा अफसाना

बतलाने बैठे

वो फिर

बात जबां तक आते आते

बात बना कर चले गए।

ऐसे चाँद सवालों पर वो

आँख नचा कर चले गए

चुप थे

फिर भी अनजाने में

शोर मचा कर चले गए

अंगडाई से पहले उनका

थोड़ा सा इठला लेना ,

उनको क्या मालूम

कहाँ वो

आग लगा कर चले गए।

सीधे साधे सब लम्हों को

वो

उलझा कर चले गए

आए तो कंधा देने पर जाने क्या मस्ती सूझी,

ढोल नगाडे लेकर बैठे

हंस कर गाकर चले गए

पहले थोडी आँख तरेरी

फिर झगडे......

मुस्काए फिर

फिर थोड़ा हौले से चौंके

फिर घबरा कर चले गए

2 comments:

Prem Shukla said...

सीधे साधे सब लम्हों को

वो

उलझा कर चले गए...

बढ़िया.

Unknown said...

bahut achhe sir...mind blowing...